AJNABI(Hindi Poem) Ajnabi ko dost samajh bethe, Hkiqat, waqt, suvichar, anmol vachan, sache dost अजनबी को दोस्त समझ बैठे जिंदगी में हर शख्स से थी दोस्ती की चाह हमे , पर न जाने क्यों एक अजनबी को ही हम दोस्त समझ बैठे। नाम भी न था मालूम , और न थी उनसे पहचान कोई, दूरियां तो थी उनसे , पर फिर भी हम उन्हें अपने करीब समझ बैठे। वो शख्स था सबसे अलग , सबसे जुदा मगर , कुछ खास तो था उसमें , जो हम उसे महान समझ बैठे। हुए थी जब उनसे मुलाकात पहली बार हमारी , उस मुलाकात को हम दोस्ती की शुरुआत समझ बैठे। जानकर भी जान न सके थे हम उन्हें कभी शायद , जो उनके चंद शब्दों को ही हम उनकी पहचान समझ बैठे। उसकी सोच , उसके विचार , उसके ख्याल थे हमसे अलग , न समझ तो हम ही थे जो उन्हें हमख्याल समझ बैठे। वक्त ने हमारे दरमियान फ