Featured Posts

Anmol Vachan Part 16 Dohe in Hindi

Dohe in Hindi ( दोहे) Rare Collection इस ब्लॉग में अलग अलग कवियों के वो दोहे दिए गए हैं जिन्हे हर कोई बहुत आसानी से समझ सकता है और जिनसे जिंदगी को जीने के लिए कोई न कोई उपदेश मिलता हो। ये उपदेश सबको जिंदगी की राह  दिखाते हैं , जिससे इंसान को जिंदगी में कोई भी फैसला लेने में आसानी होती है। चींटी कितनी छोटी होती है ! उसको यदि दिल्ली से वृन्दावन की यात्रा करनी हो तो लगभग 3 - 4 जन्म लग जायेंगे। यदि यही चींटी किसी वृन्दावन जाने वाले व्यक्ति के कपड़ों पे चढ़ जाये तो सहज ही 3 - 4 घंटों में वृन्दावन पहुंच जाएगी। इसी प्रकार इंसान के लिए भवसागर पार करना बहुत मुश्किल है , पता नहीं कई जन्म लग सकते हैं। पर यदि हम गुरु का हाथ पकड़ लें और उनके बताये सन्मार्ग पर श्रद्धा पूर्वक चलें, तो बहुत ही सरलता से भवसागर को पार कर सकते हैं ।    दोहे 1. मल मल धोये शरीर को , धोये न मन का मैल।     नहाये गंगा गोमती रहे बैल का बैल।

Anmol Vachan Part 2 In Hindi

 Anmol Vachan Part-2 In Hindi

अभी तो असली मंजिल पाना बाकि है , 

अभी तो इरादों का इम्तिहान बाकि है ,

अभी तो तोली है मुट्ठी भर जमीं , 

अभी तो तोलना आसमान बाकि है  

***************************************


किसी भी इंसान के जीवन पर उसके विचारों का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसे - जैसे इंसान के विचार बढ़ते जाते हैं वैसे - वैसे इंसान का विकास होता जाता है।

हम एक दूसरे को बदलने की बहुत कोशिश करते हैं पर ऐसा नहीं हो पता है। किसी भी इंसान को यदि बदलना है तो उसके विचारों को बदलो, वो इंसान खुद-व् -खुद बदल जायेगा। इसलिए मेरा ये मानना है कि हर इंसान के पास कुछ ऐसे विचार होने चाहिए जो उसे मुसीबत के वक़्त रास्ता दिखाते हों। फिर वो इंसान जीवन के सफर में किसी भी गलत रस्ते पर नहीं जायेगा।

इंसान के जीवन में अच्छे विचारों का समावेश बचपन से ही हो जाना चाहिए। क्योंकि बचपन इंसान के जीवन का वो समय है जिसमें वो जो भी सीखता है वो उसे सारी उम्र भर याद रहता है।

इस पोस्ट में हम कुछ ऐसे विचार दे रहे हैं जिन्हे यदि कोई इंसान अपने जीवन में उतरता हे तो उसे जीवन भर कोई भी फैसला लेते वक़्त बहरी लोगों की जरूरत नहीं पड़ेगी और वो कभी भी किसी भी हीन भावना का शिकार नहीं हो पायेगा। हम ये विचार आगे दे रहे हैं।

अनमोल वचन

1

 एक लाक्ष्य , एक प्यार और एक सपना ये ऐसी चीजें है , जिनके होने से व्यक्ति अपनी देह पर और अपने जीवन पर पूरा नियंत्रण पा लेता है।

2

पूरी तरह से एक ही लक्ष्य के लिए जुट जाना सफलता का सर्वश्रेष्ठ साधन है।

3

सफलता प्राप्ति के लिए प्रतिभा उतनी उत्तरदाई नहीं होती , जितनी की लगन , इच्छाशक्ति व् कठिन परिश्रम।

4

आत्मविश्वाश सफलता की पहली सीढ़ी है। 

5

 समाज केवल उत्कृष्ट गुणों की ही पूजा करता है। सफल व्यक्ति ही समाज में प्रतिष्ठित होते हैं। जैसे जल मछलियों का जीवन प्राण है परन्तु कीचड़ को वो भी पसंद नहीं करती चाहे उनकी जान ही क्यों न चली जाये। 

6

 सफलता प्राप्ति के लिए छोटी छोटी बातों से ऊपर उठना अति आवश्यक होता है। जब कभी भी दूसरों से मिलें मुस्कराकर मिलें , आप चाहे कितने भी परेशान क्यों न हों अपना रोना दूसरों के सामने न रोएं।

7

दूसरों का सहयोग लेने से कभी भी हिचकिचाना नहीं चाहिए। अगर आप दूसरों को दे सको तो सही राय ही दें , मगर राय उसी को दें जिसे जरूरत हो।

8

दूसरों की गलती पे नाराज होने से ज्यादा बेहतर है , उसे अनदेखा कर देना।

9

सामने वाले की प्रशंसा करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहिए , परन्तु प्रशंसा और चापलूसी में अंतर् बनाये रखें।

10

पेड़ खुद गर्मी सहन कर लेता है , परन्तु औरों को छाया द्वारा गर्मी से बचता है।

11

मन में काम, क्रोध और लोभ हो तो पंडित और मुर्ख को समान समझें।

12

 व्यव्हार वो दर्पण है जिसमें हर किसी का प्रतिबिम्ब नजर आता है।

13

 ऐसा काम कभी न करें जिसे दूसरों से छुपाने की जरूरत हो।

14

आनद आदमी के अंदर है , जो सत्य की तलाश में मिलता है।

15

 ईश्वर और मनुष्य के बीच की दूरी को आत्मा का पुल बनाकर जोड़ा जाता है ईश्वर ने हमे दुःख नहीं दिया, हम अपने ही दुर्गुणों के कारण दुःख भोगते हैं ।

16

 बिना चले मंजिल को पाना संभव नहीं प्रयास तो आपको करना ही पड़ेगा ।

17

दूसरो के प्रति द्वेष करने से उन्हें हानि नहीं होगी , आपका मन खराब हो जाएगा ।

18

आप जितना कमाते हैं उससे काम खर्च करते हैं, तो समझ लीजिये आपके पास पारस पत्थर हैं ।

19

फूल काँटों में रहकर भी सुखी हैं, और इंसान महलों में रहकर भी दुखी है ।

20

सत्या असत्य में भेद बताने वाला व्यक्ति ही गुरु के योग्य है जो केवल उपदेश देता है वो कभी भी सच्चा गुरु नहीं हो सकता। 

सच्चा गुरु वही है जो प्रवचन का स्वयं भी पालन करे, और आत्मज्ञान की कसौटी पर खरा उतरता हो।अशुभ विचर करने वाले लोग रोगी, और दुष्कर्म करने वाले भोगी बनते हैं।

21

जिनका मन उत्साह पूर्ण स्फूर्तिदायक आध्यात्मिक विचारों से परिपूर्ण रहता है, वे सदा युवा रहकर दीर्घ आयु को प्राप्त होते हैं।

22

जिसका पुत्र वश में हो तो आज्ञाकारी हो, पत्नी पतिब्रता हो, जो प्राप्त धन से संतोष करता हो, उस परिवार में स्वर्ग का सुख होता है।

23

पांच वर्ष पुत्र को प्यार करें , दस साल तक उस पर कठोर नियंत्रण रखें और जब वह सोलह साल का हो जाए तो उससे समानता का व्यवहार करें।

24

 वो लोग अक्सर दुनियाँ में अकेले रह जाते हैं , जो खुद से ज्यादा दूसरों की फ़िक्र करते हैं।

25

बहुत कुछ सोचना पड़ता है अब मुँह खोलने से पहले क्योंकि , दुनियाँ अब दिल से नहीं दिमाग से रिश्ते निभाती है।

26

खुद को इतना सरल मत बनाईये कि हर कोई आपका इस्तेमाल करने लग जाये , याद रखें जिन तारों में करंट नहीं होता लोग उनपे कपड़े सूखा दिया करते हैं।

27

इंसान का जब अहंकार और पेट बढ़ जाता है , तो वह चाह कर भी गले नहीं मिल सकता।

28

संसार में कोई मनुष्य सर्वगुण सम्पन्न नहीं होता , इसलिए कुछ कमियों को नजरअंदाज कर रिश्ते बनाये रखिये।

29

जिंदगी की दौड़ में जो आपको दौड़कर हरा नहीं पाते , वही लोग आपको तोड़कर हराने की कोशिश करते हैं।

30

जीवन में जब भी हम खराब दौर से गुजरते हैं , तब मन में यह विचार आता है कि परमात्मा मेरी परेशानी देखता क्यों नहीं है , मेरे दुःख कम क्यों नहीं करता। पर याद रखना जब परीक्षा चल रही होती है तब शिक्षक मौन रहता है।

31

बहुत जरुरी है , जिंदगी में थोड़ा खालीपन। क्योंकि यही वो समय है , जहां हमारी मुलाकात हमसे होती है।

32

कीचड़ में पैर फंस जाये तो नल के पास जाना चाहिए, मगर , नल को देखकर कीचड़ में नहीं जाना चाहिए , इसी प्रकार जिंदगी में बुरा समय आ जाये तो पैसों का उपयोग करना चाहिए , मगर पैसों को देखकर बुरे रस्ते पर नहीं जाना चाहिए।

33

 रिश्तों में बढ़ती हुई नफरत का कारण ये भी है की आजकल लोग , गैरों को अपना बनाने में और अपनों को नजरअंदाज करने में लगे हैं। 

34

बाजार में सब कुछ मिल जाता है , पर माँ जैसी जन्नत और बाप जैसा साया कभी नहीं मिलता।

35

 गुरु और शिक्षक

भारतीय सनातन परम्परा गुरु और शिक्षक को अलग अलग स्थान प्रदान करती है। 

गुरु वह है जो हमे अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये , अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाये , असत्य से सत्य की ओर ले जाये। गुरु वह शिक्षा देता है जो जीवन को कल्याण के मार्ग पर ले जाती है। 

और शिक्षक हमे वह शिक्षा देता है जो आजीविका के लिए जरूरी है। जीवन में शिक्षक से ज्यादा महत्व एक गुरु का होता है। 

शिक्षक हमे किसी एक विद्य में पारंगत कर सकता है , किन्तु गुरु हमारे सम्पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माता होता है। गुरु हमे जीवन भर रास्ता दिखता है।

36

 किसी भद्रपुरुष ने चाणक्य से पूछा - जहर क्या है ?


चाणक्य ने जबाब दिया हर वो चीज जो जिंदगी में आवश्यकता से अधिक होती है वही जहर है , फिर चाहे वो ताकत हो , धन हो, भूख हो , लालच हो , अभिमान हो , आलस हो , महत्वकांक्षा हो , प्रेम हो , या धृणा हो , आवश्यकता से अधिक जहर ही है। 


THANKS FOR YOUR VISIT
PLEASE COMMENT BELOW

Comments

Breaking News

Popular Post on this Blog

Anmol Vachan Part 15 In Hindi

Hindi Shayari Part 19

Hindi Shayari Part 20

SUBSCRIBE FOR NEW POSTS

Followers