Anmol Vachan Part 2 In Hindi
Anmol Vachan Part-2 In Hindi
अभी तो असली मंजिल पाना बाकि है ,
अभी तो इरादों का इम्तिहान बाकि है ,
अभी तो तोली है मुट्ठी भर जमीं ,
अभी तो तोलना आसमान बाकि है ।
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हम एक दूसरे को बदलने की बहुत कोशिश करते हैं पर ऐसा नहीं हो पता है। किसी भी इंसान को यदि बदलना है तो उसके विचारों को बदलो, वो इंसान खुद-व् -खुद बदल जायेगा। इसलिए मेरा ये मानना है कि हर इंसान के पास कुछ ऐसे विचार होने चाहिए जो उसे मुसीबत के वक़्त रास्ता दिखाते हों। फिर वो इंसान जीवन के सफर में किसी भी गलत रस्ते पर नहीं जायेगा।
इंसान के जीवन में अच्छे विचारों का समावेश बचपन से ही हो जाना चाहिए। क्योंकि बचपन इंसान के जीवन का वो समय है जिसमें वो जो भी सीखता है वो उसे सारी उम्र भर याद रहता है।
इस पोस्ट में हम कुछ ऐसे विचार दे रहे हैं जिन्हे यदि कोई इंसान अपने जीवन में उतरता हे तो उसे जीवन भर कोई भी फैसला लेते वक़्त बहरी लोगों की जरूरत नहीं पड़ेगी और वो कभी भी किसी भी हीन भावना का शिकार नहीं हो पायेगा। हम ये विचार आगे दे रहे हैं।
अनमोल वचन
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पूरी तरह से एक ही लक्ष्य के लिए जुट जाना सफलता का सर्वश्रेष्ठ साधन है। |
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सफलता प्राप्ति के लिए प्रतिभा उतनी उत्तरदाई नहीं होती , जितनी की लगन , इच्छाशक्ति व् कठिन परिश्रम।
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आत्मविश्वाश सफलता की पहली सीढ़ी है। |
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दूसरों का सहयोग लेने से कभी भी हिचकिचाना नहीं चाहिए। अगर आप दूसरों को दे सको तो सही राय ही दें , मगर राय उसी को दें जिसे जरूरत हो। |
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दूसरों की गलती पे नाराज होने से ज्यादा बेहतर है , उसे अनदेखा कर देना।
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सामने वाले की प्रशंसा करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहिए , परन्तु प्रशंसा और चापलूसी में अंतर् बनाये रखें। |
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पेड़ खुद गर्मी सहन कर लेता है , परन्तु औरों को छाया द्वारा गर्मी से बचता है। |
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मन में काम, क्रोध और लोभ हो तो पंडित और मुर्ख को समान समझें। |
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आनद आदमी के अंदर है , जो सत्य की तलाश में मिलता है। |
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दूसरो के प्रति द्वेष करने से उन्हें हानि नहीं होगी , आपका मन खराब हो जाएगा । |
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आप जितना कमाते हैं उससे काम खर्च करते हैं, तो समझ लीजिये आपके पास पारस पत्थर हैं । |
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फूल काँटों में रहकर भी सुखी हैं, और इंसान महलों में रहकर भी दुखी है । |
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सत्या असत्य में भेद बताने वाला व्यक्ति ही गुरु के योग्य है जो केवल उपदेश देता है वो कभी भी सच्चा गुरु नहीं हो सकता। सच्चा गुरु वही है जो प्रवचन का स्वयं भी पालन करे, और आत्मज्ञान की कसौटी पर खरा उतरता हो।अशुभ विचर करने वाले लोग रोगी, और दुष्कर्म करने वाले भोगी बनते हैं। |
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जिनका मन उत्साह पूर्ण स्फूर्तिदायक आध्यात्मिक विचारों से परिपूर्ण रहता है, वे सदा युवा रहकर दीर्घ आयु को प्राप्त होते हैं। |
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जिसका पुत्र वश में हो तो आज्ञाकारी हो, पत्नी पतिब्रता हो, जो प्राप्त धन से संतोष करता हो, उस परिवार में स्वर्ग का सुख होता है। |
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पांच वर्ष पुत्र को प्यार करें , दस साल तक उस पर कठोर नियंत्रण रखें और जब वह सोलह साल का हो जाए तो उससे समानता का व्यवहार करें। |
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बहुत कुछ सोचना पड़ता है अब मुँह खोलने से पहले क्योंकि , दुनियाँ अब दिल से नहीं दिमाग से रिश्ते निभाती है। |
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खुद को इतना सरल मत बनाईये कि हर कोई आपका इस्तेमाल करने लग जाये , याद रखें जिन तारों में करंट नहीं होता लोग उनपे कपड़े सूखा दिया करते हैं। |
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इंसान का जब अहंकार और पेट बढ़ जाता है , तो वह चाह कर भी गले नहीं मिल सकता। |
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संसार में कोई मनुष्य सर्वगुण सम्पन्न नहीं होता , इसलिए कुछ कमियों को नजरअंदाज कर रिश्ते बनाये रखिये। |
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जिंदगी की दौड़ में जो आपको दौड़कर हरा नहीं पाते , वही लोग आपको तोड़कर हराने की कोशिश करते हैं। |
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जीवन में जब भी हम खराब दौर से गुजरते हैं , तब मन में यह विचार आता है कि परमात्मा मेरी परेशानी देखता क्यों नहीं है , मेरे दुःख कम क्यों नहीं करता। पर याद रखना जब परीक्षा चल रही होती है तब शिक्षक मौन रहता है। |
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बहुत जरुरी है , जिंदगी में थोड़ा खालीपन। क्योंकि यही वो समय है , जहां हमारी मुलाकात हमसे होती है। |
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कीचड़ में पैर फंस जाये तो नल के पास जाना चाहिए, मगर , नल को देखकर कीचड़ में नहीं जाना चाहिए , इसी प्रकार जिंदगी में बुरा समय आ जाये तो पैसों का उपयोग करना चाहिए , मगर पैसों को देखकर बुरे रस्ते पर नहीं जाना चाहिए। |
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बाजार में सब कुछ मिल जाता है , पर माँ जैसी जन्नत और बाप जैसा साया कभी नहीं मिलता। |
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भारतीय सनातन परम्परा गुरु और शिक्षक को अलग अलग स्थान प्रदान करती है। गुरु वह है जो हमे अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये , अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाये , असत्य से सत्य की ओर ले जाये। गुरु वह शिक्षा देता है जो जीवन को कल्याण के मार्ग पर ले जाती है। और शिक्षक हमे वह शिक्षा देता है जो आजीविका के लिए जरूरी है। जीवन में शिक्षक से ज्यादा महत्व एक गुरु का होता है। शिक्षक हमे किसी एक विद्य में पारंगत कर सकता है , किन्तु गुरु हमारे सम्पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माता होता है। गुरु हमे जीवन भर रास्ता दिखता है। |
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चाणक्य ने जबाब दिया हर वो चीज जो जिंदगी में आवश्यकता से अधिक होती है वही जहर है , फिर चाहे वो ताकत हो , धन हो, भूख हो , लालच हो , अभिमान हो , आलस हो , महत्वकांक्षा हो , प्रेम हो , या धृणा हो , आवश्यकता से अधिक जहर ही है। |
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