Hindi Shayari Part 16

  हिंदी शायरी पार्ट -16

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हिंदी शायरी पार्ट-16

1

 दस्तक और आवाज तो कानो के लिए है , 

जो रूह को ससुनाई  दे उसे ख़ामोशी कहते हैं।

2

 गलती तो हमारी थी जो हम उनसे ज्यादा बात करने लगे, 

जब हो गई  हमे उनकी आदत , तो वो हमे नजरअंदाज करने लगे। 

3

 मर गए तो अलग बात है, 

वरना  तेरे कहने से भी तुझे छोड़ने वाले नहीं। 

4

 मिलने को तरसता हूँ , पर मैं मुलाकात  नहीं कर  सकता , 

मेरे पास नंबर तो है उसका, पर मैं बात  नहीं कर  सकता। 

5

  वो बिक चुके थे जब हम  खरीदने के  काबिल हुए , 

जमाना बीत चुका  था ग़ालिब हमे अमीर होते होते। 

6

यूँ  ही गिरते गिरते एक दिन संभल जाऊंगा , 

बदला नहीं लूंगा किसी से , सिर्फ बदल जाऊंगा। 

7

 संभलकर करिये गैरों से हमारी बुराई , 

आप उन्हें जाकर बताते हैं , वो हमे आकर बताते हैं।

8

 दोस्त तुम रूठे रूठे लगते हो, कोई तरकीब बताओ मनाने की , 

मैं जिंदगी गिरवी रख दूँ , तुम कीमत तो बताओ मुस्कराने की।

9

महफ़िल में चल रही थी, मेरे कत्ल की तयारी , 

जब हम पहुंचे तो लोगों ने कहा , लम्बी उम्र है तुम्हारी।

10

 हर गुनाह हस के कबूल है मुझे , 

बस  सजा देने वाला बेकसूर होना चाहिए। 

11

 मोहब्बतों का तालुक उम्र से नहीं होता , 

मनपसंद शख्स हर उम्र में खूबसूरत लगता है।

12

कभी समझना है मुझे तो दिल लेकर आना , 

दिमाग लेकर आओगे तो कभी समझ नहीं पाओगे। 

13

वो  सुना रहे थे दुनियां को अपनी वफाओं के किस्से , 

फिर उनकी हम पर नजर पड़ी तो खामोश हो गए। 

14

मुझसे पूछा किसी ने के एक तरफा प्यार केसा होता है , 

मैंने मुस्करा के कहा , 

जो अपना कभी था ही नहीं उसे भी खोना पड़ता है।

15

 उसकी यादों  का हर्जाना अच्छा है, 

आँखों में आशु भर जाना अच्छा है, 

अब जब उसको ही कोई परवाह नहीं , 

अब  उम्मीदों का मर जाना अच्छा है।

16

 जिसको भी तुम दोगे  सहारा , 

बनेगा दुश्मन वही तुम्हारा , 

जिसको राह दिखाओगे तुम , 

चोट उसी से खाओगे तुम। 

17

 कभी आऊंगा किसी दिन तेरे घर बहाने से, 

मुझसे मिलने बाहर आओगी क्या , 

तेरे हाथ की चाय  पसंद है मुझे , 

खुद बनाकर पिलाओगी क्या।  

18

  जिंदगी हमारी यूँ सितम हो गई , 

ख़ुशी न जाने कहां  दफन हो गई , 

लिखी खुदा ने सबके हिस्से में मोहब्बत , 

मेरी बरी आई तो सियाही ख़तम हो गई।

19

 रिश्ता कभी ख़तम नहीं होता , 

बातों से छूटा तो आँखों में रह जाता है , 

और आँखों से छूटा तो यादों में रह जाता है। 

20

 नफरत नहीं है तुमसे लेकिन, 

अब प्यार का इरादा भी नहीं , 

तुझे खोने का दुःख तो बहुत है , 

लेकिन अब दोबारा पाने की ख्वाइश नहीं।

21

 उनकी चाहत में दिल मजबूर हो गया , 

दर्द देना उनका दस्तूर हो गया , 

कसूर उनका नहीं हमारा ही था , 

हमने चाहा ही इतना कि उनको गरूर हो गया।

22

तलब दोस्त की हो या चाय  की, 

दोनों न मिले तो तबियत बिगड़ने लगती है , 

चाय न मिले तो सर भारी , 

दोस्त न मिले तो दिल भारी। 

23

 तू जब बात करना नहीं चाहती, तो मेरी आँखों में इंतजार क्यों , 

तू जब जबाब देना नहीं चाहती, तो मेरे पास इतने सवाल क्यों। 

हर रोज सोचता हूँ , जब तुझे मेरी फ़िक्र ही नहीं , 

तो मुझे तुझसे इतना प्यार क्यों। 

24

 तुमने बिकना है तो व्यपार भी हो सकता है , 

चाहने वाला खरीदार भी हो सकता है , 

तु अभी  अपने दुश्मन को शक की निगाहों से न देख , 

तेरा कातिल तो तेरा यार भी हो सकता है। 

25

 बगैर उसको बताये निभाना पड़ता है , 

ये इश्क राज है ऐसे छुपाना पड़ता है, 

हर आदमी से तबियत तो मिल नहीं सकती , 

मगर ये हाथ तो फिर भी मिलाना पड़ता है। 

26

 आँखों से आँशु  आ जाते हैं रोने से पहले , 

खाब  टूट जाते हैं पूरे  होने से पहले , 

प्यार गुनाह है, ये तो समझ गए , 

काश कोई रोक लेता, ये गुनाह होने से पहले। 

27

 मोहब्बत सिखाकर जुदा  हो गया , 

ना सोचा न समझा खफा हो गया , 

दुनियां में किसको हम अपना कहें , 

जो अपना था वही बेवफा हो गया। 

28

 उन्हें कामयाबी में शकुन नजर आया तो दौड़ते गए , 

हमे सकून में कामयाबी नजर आए तो ठहर गए , 

ख्वाइशों के बोझ में  दिनेश तू क्या क्या कर रहा, 

इतना तो जीना भी नहीं जितना तू मर रहा है। 

29

 फ़रिश्ते भी रोते हैं मुझे देखकर , 

किसी ने इस कदर रुलाया है मुझे , 

मुहब्बत नाम से भी डर  लगता है , 

किसी ने इस कदर ठुकराया  है मुझे। 

30

 अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला , 

हमने अपना लिया हर रंग जमाने वाला , 

एक मुसाफिर  के सफर जैसी है ये दुनियां , 

कोई जल्दी में है कोई देर से जाने वाला। 

31

 तुमको पाकर जो मिली, उस जिंदगी का करूं , 

दिल न फट जाये कहिं,  इतनी ख़ुशी का क्या  करूं।  

मैं न कहता था के, मैं तरसा हुआ हूँ प्यार का , 

लो अब मोहब्बत हो गई, तो दोस्ती का क्या करूं।  

चाँद मेरा है तो बस,  मुझ तक पहुंचना चाहिए , 

हर तरफ बिखरी हुए, इस चांदनी का क्या करूं। 

जहन  से उत्तरी नहीं पहली मोहब्बत आज तक , 

ये जो तुमसे हो गई,  इस  आखरी का क्या करूं। 

32

 किसी को नफरत है मुझसे , 

और कोई प्यार कर बैठा है , 

किसी को यकीन नहीं मुझपे , 

और कोई इतवार कर  बैठा है , 

कितनी अजीव है  ये दुनिया , 

कोई मिलना भी नहीं चाहता, 

और कोई इंतजार कर  बैठा है । 

33

ख़ुशी जल्दी में थी , रुकी नहीं , 

गम फुर्सत में थे , ठहर गए , 

लोगों की नजरों में फर्क अब भी नहीं है , 

पहले मुड़कर देखते थे अब देखकर मुड़  गए , 

आज परछाई से पूछ ही लिया मैने,  

क्यों चलती हो मेरे साथ , हसकर कहा उसने,

 दूसरा कौन है तेरे साथ, बाकि सब तो छोड़ कर चले गए। 

34

 भला गमों से कहां  हार जाने वाले थे , 

हम आंशुओं की तरह मुस्कराने वाले थे , 

हमने ही  कर  दिया एलान  गुमराही का,

 वरना  पीछे बहुत लोग आने वाले थे , 

उन्हें करीब न होने दिया कभी मैने , 

जो  हदें भूल जाने वाले थे , 

मैं जिनको जान के पहचान भी नहीं सकता , 

ऐसे कुछ लोग मेरा घर जलाने वाले थे।  

35

भूलने का कोई तरीका हो तो हमे भी बताना , मैं भी एक शक्श की यादों से परेशान हूँ।

आँखों का पानी और दिल की कहानी हर किसी को समझ नहीं आती। 

नफरत मत करना हमसे, हमे बुरा लगेगा , बस  प्यार से कह देना , अब तेरी जरूरत नहीं है

जितनी मोहब्बत मिली सारी  बाँट दी दुनियां वालों को , लेकिन जब मेने झोली फैलाई , तो किसी ने दर्द के शिव कुछ नहीं दिया।

खता उनकी नहीं थी शायद हम ही गलत समझ बैठे , वो तरस  खा कर  हमसे बात कर  रहे थे और हम मोहब्बत समझ बैठे। 

मर्द को यदि ये बात पता चल जाये कि  इक औरत उसके बगैर नहीं रह सकती , तो वो पूरी दुनियां उसपर न्योछावर कर  देता है , और यदि यही बात एक औरत को पता चल जाये , के ये मर्द उसके बगैर नहीं रह सकता , तो वो उस मर्द का जीना हराम कर देती है। 

 
  

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