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दस्तक और आवाज तो कानो के लिए है , जो रूह को ससुनाई दे उसे ख़ामोशी कहते हैं।
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गलती तो हमारी थी जो हम उनसे ज्यादा बात करने लगे, जब हो गई हमे उनकी आदत , तो वो हमे नजरअंदाज करने लगे।
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मर गए तो अलग बात है, वरना तेरे कहने से भी तुझे छोड़ने वाले नहीं।
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मिलने को तरसता हूँ , पर मैं मुलाकात नहीं कर सकता , मेरे पास नंबर तो है उसका, पर मैं बात नहीं कर सकता।
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5
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वो बिक चुके थे जब हम खरीदने के काबिल हुए , जमाना बीत चुका था ग़ालिब हमे अमीर होते होते।
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यूँ ही गिरते गिरते एक दिन संभल जाऊंगा , बदला नहीं लूंगा किसी से , सिर्फ बदल जाऊंगा।
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संभलकर करिये गैरों से हमारी बुराई , आप उन्हें जाकर बताते हैं , वो हमे आकर बताते हैं।
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दोस्त तुम रूठे रूठे लगते हो, कोई तरकीब बताओ मनाने की , मैं जिंदगी गिरवी रख दूँ , तुम कीमत तो बताओ मुस्कराने की।
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महफ़िल में चल रही थी, मेरे कत्ल की तयारी , जब हम पहुंचे तो लोगों ने कहा , लम्बी उम्र है तुम्हारी।
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हर गुनाह हस के कबूल है मुझे , बस सजा देने वाला बेकसूर होना चाहिए।
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मोहब्बतों का तालुक उम्र से नहीं होता , मनपसंद शख्स हर उम्र में खूबसूरत लगता है।
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कभी समझना है मुझे तो दिल लेकर आना , दिमाग लेकर आओगे तो कभी समझ नहीं पाओगे।
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वो सुना रहे थे दुनियां को अपनी वफाओं के किस्से , फिर उनकी हम पर नजर पड़ी तो खामोश हो गए।
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मुझसे पूछा किसी ने के एक तरफा प्यार केसा होता है , मैंने मुस्करा के कहा ,
जो अपना कभी था ही नहीं उसे भी खोना पड़ता है।
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उसकी यादों का हर्जाना अच्छा है, आँखों में आशु भर जाना अच्छा है, अब जब उसको ही कोई परवाह नहीं , अब उम्मीदों का मर जाना अच्छा है।
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जिसको भी तुम दोगे सहारा , बनेगा दुश्मन वही तुम्हारा , जिसको राह दिखाओगे तुम , चोट उसी से खाओगे तुम।
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कभी आऊंगा किसी दिन तेरे घर बहाने से, मुझसे मिलने बाहर आओगी क्या , तेरे हाथ की चाय पसंद है मुझे , खुद बनाकर पिलाओगी क्या।
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जिंदगी हमारी यूँ सितम हो गई , ख़ुशी न जाने कहां दफन हो गई , लिखी खुदा ने सबके हिस्से में मोहब्बत , मेरी बरी आई तो सियाही ख़तम हो गई।
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रिश्ता कभी ख़तम नहीं होता , बातों से छूटा तो आँखों में रह जाता है , और आँखों से छूटा तो यादों में रह जाता है।
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नफरत नहीं है तुमसे लेकिन, अब प्यार का इरादा भी नहीं , तुझे खोने का दुःख तो बहुत है , लेकिन अब दोबारा पाने की ख्वाइश नहीं।
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उनकी चाहत में दिल मजबूर हो गया , दर्द देना उनका दस्तूर हो गया , कसूर उनका नहीं हमारा ही था , हमने चाहा ही इतना कि उनको गरूर हो गया।
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तलब दोस्त की हो या चाय की, दोनों न मिले तो तबियत बिगड़ने लगती है , चाय न मिले तो सर भारी , दोस्त न मिले तो दिल भारी।
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तू जब बात करना नहीं चाहती, तो मेरी आँखों में इंतजार क्यों , तू जब जबाब देना नहीं चाहती, तो मेरे पास इतने सवाल क्यों। हर रोज सोचता हूँ , जब तुझे मेरी फ़िक्र ही नहीं , तो मुझे तुझसे इतना प्यार क्यों।
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तुमने बिकना है तो व्यपार भी हो सकता है , चाहने वाला खरीदार भी हो सकता है , तु अभी अपने दुश्मन को शक की निगाहों से न देख , तेरा कातिल तो तेरा यार भी हो सकता है।
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बगैर उसको बताये निभाना पड़ता है , ये इश्क राज है ऐसे छुपाना पड़ता है, हर आदमी से तबियत तो मिल नहीं सकती , मगर ये हाथ तो फिर भी मिलाना पड़ता है।
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आँखों से आँशु आ जाते हैं रोने से पहले , खाब टूट जाते हैं पूरे होने से पहले , प्यार गुनाह है, ये तो समझ गए , काश कोई रोक लेता, ये गुनाह होने से पहले।
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मोहब्बत सिखाकर जुदा हो गया , ना सोचा न समझा खफा हो गया , दुनियां में किसको हम अपना कहें , जो अपना था वही बेवफा हो गया।
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उन्हें कामयाबी में शकुन नजर आया तो दौड़ते गए , हमे सकून में कामयाबी नजर आए तो ठहर गए , ख्वाइशों के बोझ में दिनेश तू क्या क्या कर रहा, इतना तो जीना भी नहीं जितना तू मर रहा है।
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फ़रिश्ते भी रोते हैं मुझे देखकर , किसी ने इस कदर रुलाया है मुझे , मुहब्बत नाम से भी डर लगता है , किसी ने इस कदर ठुकराया है मुझे।
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अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला , हमने अपना लिया हर रंग जमाने वाला , एक मुसाफिर के सफर जैसी है ये दुनियां , कोई जल्दी में है कोई देर से जाने वाला।
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तुमको पाकर जो मिली, उस जिंदगी का करूं , दिल न फट जाये कहिं, इतनी ख़ुशी का क्या करूं। मैं न कहता था के, मैं तरसा हुआ हूँ प्यार का , लो अब मोहब्बत हो गई, तो दोस्ती का क्या करूं। चाँद मेरा है तो बस, मुझ तक पहुंचना चाहिए , हर तरफ बिखरी हुए, इस चांदनी का क्या करूं। जहन से उत्तरी नहीं पहली मोहब्बत आज तक , ये जो तुमसे हो गई, इस आखरी का क्या करूं।
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किसी को नफरत है मुझसे , और कोई प्यार कर बैठा है , किसी को यकीन नहीं मुझपे , और कोई इतवार कर बैठा है , कितनी अजीव है ये दुनिया , कोई मिलना भी नहीं चाहता, और कोई इंतजार कर बैठा है ।
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ख़ुशी जल्दी में थी , रुकी नहीं , गम फुर्सत में थे , ठहर गए , लोगों की नजरों में फर्क अब भी नहीं है , पहले मुड़कर देखते थे अब देखकर मुड़ गए , आज परछाई से पूछ ही लिया मैने, क्यों चलती हो मेरे साथ , हसकर कहा उसने, दूसरा कौन है तेरे साथ, बाकि सब तो छोड़ कर चले गए।
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भला गमों से कहां हार जाने वाले थे , हम आंशुओं की तरह मुस्कराने वाले थे , हमने ही कर दिया एलान गुमराही का, वरना पीछे बहुत लोग आने वाले थे , उन्हें करीब न होने दिया कभी मैने , जो हदें भूल जाने वाले थे , मैं जिनको जान के पहचान भी नहीं सकता , ऐसे कुछ लोग मेरा घर जलाने वाले थे।
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भूलने का कोई तरीका हो तो हमे भी बताना , मैं भी एक शक्श की यादों से परेशान हूँ। आँखों का पानी और दिल की कहानी हर किसी को समझ नहीं आती। नफरत मत करना हमसे, हमे बुरा लगेगा , बस प्यार से कह देना , अब तेरी जरूरत नहीं है। जितनी मोहब्बत मिली सारी बाँट दी दुनियां वालों को , लेकिन जब मेने झोली फैलाई , तो किसी ने दर्द के शिव कुछ नहीं दिया। खता उनकी नहीं थी शायद हम ही गलत समझ बैठे , वो तरस खा कर हमसे बात कर रहे थे और हम मोहब्बत समझ बैठे। मर्द को यदि ये बात पता चल जाये कि इक औरत उसके बगैर नहीं रह सकती , तो वो पूरी दुनियां उसपर न्योछावर कर देता है , और यदि यही बात एक औरत को पता चल जाये , के ये मर्द उसके बगैर नहीं रह सकता , तो वो उस मर्द का जीना हराम कर देती है।
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