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Hindi Shayari Part 18

   हिंदी शायरी पार्ट -18

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हिंदी शायरी पार्ट-18

1

आप बात अपनी मर्जी से करते हो, 

और हम भी इतने पागल हैं, 

कि आपकी मर्जी का इंतजार करते हैं। 

2

 तुम तो फिर भी गैर हो, 

तुमसे तो शिकायत कैसी, 

मेरे अपने भी मुझे गैरों की तरह देखते हैं। 

3

 अकेले तो हम शुरू से ही थे , 

बस  थोड़ा सा वहम हो गया था कि मुझे भी कोई चाहता है। 

4

 दोस्ती की है, तुमसे बेफिक्र रहो, 

नाराजगी हो सकती है पर कभी नफरत नहीं । 

5

मसला ये नहीं कि तुम मिल नहीं पाओगे,

दर्द तो ये है कि हम तुम्हें  भूला नहीं पाएंगे। 

6

 कभी न कभी तो एहसास होगा तुम्हें, 

के कोई था जो तुम्हें बिना मतलब से चाहता था। 

7

मसरूफ हो तुम भी और मसरूफ हैं  हम भी, 

तुम्हें खुद से फुर्सत नहीं, और हमें तुमसे फुर्सत नहीं।  

8

तेरे चार दिन के प्यार से मुझे उम्र भर का  गम मिला, 

मैं टूट कर बिखर गया, मुझे तोड़कर तुझे क्या मिला। 

9

वक्त ऐसे ना दीजिए की भीख लगे,

बाकी जो आपको ठीक लगे। 

10

मजाक में सही पर, सच बताना यार, 

सच में बिजी रहते हो, 

या हम बात करने के काबिल नहीं। 

11

फिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते हैं, 

कब्र को कितना भी सजाओ कोई लौटकर नहीं आता। 

12

 करने दो जो बकवास करते हैं, 

हमेशा खली बर्तन ही आवाज करते हैं। 

13

 हम फूल तो नहीं पर महकना जानते हैं , 

बिना रोये गम भूलना जानते हैं , 

लोग खुश होते हैं हमसे , 

क्योंकि हम बिना मिले ही रिश्ते निभाना जानते हैं। 

14

 इंतज़ार हमेशा करूंगा लेकिन आवाज नहीं दूंगा , 

लिखूंगा हर शायरी तेरे लिए पर तेरा नाम नहीं लूंगा । 

15

 तुम्हे चाहने की आदत सी हो गई , 

माफ़ करना थोड़ी हिमाकत हो गई , 

नियत तो तुमसे दोस्ती की थी मगर , 

खामखा तुमसे मोहब्बत हो गई। 

16

गैरों में बाँट दिया उसने वक़्त अपना , 

हमारे हिस्से में तो सिर्फ बहाने लिखे थे।  

17

इश्क उससे करो जिसमे खामियां बहुत हों  , 

ये हुसन  से भरे चेहरे इतराते बहुत है , 

मोहब्बत तो रूह से होनी चाहिए , 

लफ्जों से जताते वाले रुलाते बहुत है।  

18

 इंसान सबसे सस्ता मोहब्बत में बिकता है , 

और सबसे महंगी उसे  मोहब्बत ही पड़ती है। 

19

तोड़ेंगे गरूर इश्क का , 

हम इस कदर सुधर जायेंगे , 

खड़ी  रहेगी मोहब्बत रास्ते  में , 

हम सामने से गुजर जायेंगे।  

20

बड़ी जोर से हंसा  मैं बड़ी मुददतों के बाद , 

आज फिर किसी ने कहा  मेरा एतबार कर  लो।  

21

 बहुत कुछ सिखाया, 

जिंदगी के सफर अनजाने ने , 

वो किताबों में दर्ज था ही नहीं , 

जो सबक पढ़ाया जमाने ने। 

22

 एक चाँद था मेरा , जो बादलों में कहि खो गया , 

बादल हटने का इंतजार किया, 

तो वो चाँद किसी और का हो गया। 

23

जीवन में अपना व्यक्तित्व शून्य रखिये , 

ताकि कोई उसमे कुछ भी घटा न सके , 

परन्तु जिसके साथ खड़े हो जाएँ , 

उसकी कीमत दस गुना बढ़ जाये। 

24

 सोचा था बताएंगे सब दर्द तुमको , 

पर तुमने तो ये भी नहीं पूछा, 

कि खामोश क्यों हो। 

25

इजाजत हो तो हम भी एक वहम पल लें, 

तुम भी हमे चाहते हो , इसे  हकीकत मान लें।  

26

 तेरे आलावा किसी और से ऐसा रिश्ता निभाया ही नहीं , 

तू वो दोस्त थी मेरी , 

जिसके बाद मैंने किसी और को दोस्त बनाया ही नहीं। 

27

 नाराज होकर भी देखा है मैंने , 

लोग छोड़ना पसंद करते हैं , मनाना नहीं। 

28

 मोहब्बत के हादसे अक्सर दिलों को तोड़ देते हैं , 

तुम मंजिल की बात करते हो लोग रास्तों पे छोड़ देते हैं। 

29

 कभी मैंने किसी को आजमाया ही नहीं , 

जितना प्यार दिया उतना कभी पाया ही नहीं , 

किसी को मेरी भी कमी महसूस हो , 

शायद मुझको खुदा ने ऐसा बनाया ही नहीं।  

30

 मिलावट है तेरे इश्क में , इत्र और शराब की , 

कभी हम महक जाते हैं, तो  कभी बहक जाते हैं। 

31

 अचानक इक  हमदर्द मिला मुझको, 

फिर उससे हर दर्द मिला मुझको। 

32

 उलझे मसले सुलझाउंदे नहीं,

असीं एक दूजे नूं बुलौन्दे नहीं,

बेशक चाहत मुक भी जाउंदी है,

इदा मतलब ए नहीं के असीं चाउंदे नहीं,

ओह गैरा जेहा सलूक करदा ऐ,

पर गैर गेरां न सताउंदे नहीं।

खुलियां अखां च भी आउंदे मैनु उहदे सपने,

फिर क्या होया जो असीं सौंदे नहीं।

33

तेरा चुप रहना मेरे जहन में क्या बैठ गया, 

इतनी आवाजें दी तुझे, कि गला बैठ गया , 

यूं नहीं  फकत कि मैं ही उसे चाहता हूं , 

जो भी उस  पेड़ की छांव में गया बैठ गया, 

उसकी मर्जी  जिसे पास बिठा ले अपने, 

इस पर क्या लड़ना के फलां  मेरी जगह बैठ गया।

34

बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता,

जो बीत गया है वह गुर्जर क्यों नहीं जाता,

सब कुछ तो है क्या ढूंढती रहती है निगाहें,

क्या बात है मैं वक्त पर घर क्यों नहीं जाता,

वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहां में,

जो दूर है वह दिल से उतर क्यों नहीं जाता,

35

किसी ने थोड़ा सा अपना वक्त दिया था मुझे , मैंने आज तक उसे इश्क समझ कर संभाल रखा है।

दिल की जिद हो तुम वरना इन आंखों ने बहुत चेहरे देखे हैं । 

आँखें तरस गई  तुझे देखने को , काश तुझे उस दिन ज्यादा देख लिया होता। 

कुछ मोहब्बत सही शक्श से गलत वक़्त पर गलत उम्र में हो जाती है। 

बड़े बेताब थे, वो हमसे मोहब्बत करने को , और जब हमें आदत हो गई उनकी, तो जनाब बिजी हो गए। 

औकात नहीं थी जमाने में  कीमत लगा सके , कम्बखत इश्क़ में क्या गिरे , मुफ्त में नीलम हो गए। 

सारी  रात  हम नहीं सोये सुबह उनसे मिलने की ख़ुशी में, वो मेरी ऑंखें देखकर कहने लगे मुझे नफरत है शराबियों से।
अंदाज हमे भी आते हैं , नजर अंदाज करने के , पर तू भी इस दर्द से गुजरे, ये हमे मंजूर नहीं। 


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