Hindi Shayari Part 14

 हिंदी शायरी पार्ट -14

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हिंदी शायरी पार्ट-14

1

दोस्त वो होते हैं, जो दिल से पास होते हैं,

जिनके लिए हर ग़म खास होते हैं।

दोस्ती वो रिश्ता है, जो निभाए उम्रभर,

यही तो अपने दिलों के एहसास होते हैं।

2

रिश्तों में मिठास हमेशा बनाए रखना,

चाहे दूरियां हों, पर पास में जगह बनाए रखना।

यही तो जीवन का असली गहना है,

इन्हें सहेजकर दिल में सजाए रखना।

3

ज़िंदगी की राहों में, आपका साथ मिले,

हर मुश्किल में आपका हाथ मिले।

जन्नत तो नहीं मांगते खुदा से,

बस हर जन्म में ऐसा यार मिले।

4

आपकी मोहब्बत का इकरार कर नहीं सकते,

तेरे बिना जी भी तो नहीं सकते।

तेरी निगाहों ने जो किया है,

उससे बचने की सोच भी नहीं सकते

5

आपकी आँखों में जो गहराई है,

उसमें मेरा दिल हर बार डूब जाए

आपके प्यार का ये जादू है या सज़ा,

जो हर दर्द को भी मेरा दिल सह जाए

6

हर आंसू में कोई बात होगी ,

हर दर्द के पीछे कोई न कोई याद होगी ,

आप हमे याद करो या भूल जाओ ,

लेकिन आपकी हर ख़ुशी के लिए हमारी फरियाद होगी।

7

अगर गुलाब देने से मोहब्बत होती तो माली पूरे शहर का महबूब होता

ज़िंदगी कुछ भी दोहराएगी नहीं, इसलिए जो यादें है उसे समेट लेना चाहिए

शुरुआत में खामोशी को समझने वाले अंत में चीखें भी अनसुनी कर देते ।

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11

मज़बूरी में बदली हूं, वरना वक़्त नहीं था,

आप तो वो थे जिससे शिकवा भी न था।

अब खुद को समेट लिया है हमने,

क्योंकि आपने भी तो कहना छोड़ दिया था।

12

 आप खामोश रहे, हमने सब कुछ सह लिया,

आपके हर रंग को चुपचाप पहन लिया।

अब अगर दूर हो रहे हैं आप हम से,

तो समझ ले, ये तूफ़ान भी  हमने ही सह लिया।

13

हम भी जानते हैं अपनी अहमियत,

हर किसी के नसीब में नहीं होते हम।

जो छोड़ दे हमें यूँ ही किसी मोड़ पर,

वो फिर किसी मोड़ पर दोबारा नहीं होते हम।

14

 आप जब पास होते है तो सब आसान लगता है,

आपके बिना ये मन  थोड़ा वीरान सा लगता है,

आपकी बातें, आपका हँसना, बहुत खास है,

मेरे लिए आपका होना हर पल में  एहसास है।

15

न शिकवा है न कोई गिला है

आपकी दोस्ती ही मेरा हौंसला है।

दुआ है मेरी रब से यही हर बार

आपका  साथ रहे यूँ ही हर बार

16

कभी किसी के लिए खुद को मिटा कर देखो,

पलकों में उनके ख्वाब सजा कर देखो

जो प्यार किताबों में अधूरा सा लगे,

वो कहानी किसी के साथ जी कर देखो...

17

न शिकवा है न कोई गिला है

आपकी दोस्ती ही मेरा हौंसला है।

दुआ है मेरी रब से यही हर बार

आपका  साथ रहे यूँ ही हर बार........

18

आँखों की जुबां वो समझ नहीं पाते , 

होंठ है मगर कुछ कह नहीं पाते , 

अपनी बेबसी किस तरह कहें , 

कोई है जिनके बिना हम रह नहीं पाते। 

19

  जिसे हमारी खामोशी भी समझ न आई,

उसके लिए लफ़्ज़ों का ख़ज़ाना छोड़ दिया।

उसे  क़दर नहीं थी हमारे जज़्बातों की,

इसलिए हमने भी उसे अपना हाल बताना छोड़ दिया। 

20

 आप समझे ही नहीं सच्चे जज़्बातों की कीमत,

हम हर बात में आपके लिए वफ़ादार हो गए।

चाहा आपको खुद से भी ज़्यादा मगर अफ़सोस,

आपकी नज़रों में हम ही गुनहगार हो गए। [4/4/2025] 

21

जिसे हमारी खामोशी भी समझ आई,

उसके लिए लफ़्ज़ों का ख़ज़ाना छोड़ दिया।

जिसे क़दर नहीं थी हमारे जज़्बातों की,

 इसलिए हमने भी उसे अपना हाल बताना छोड़ दिया।  [4/4/2025] 

22

चलो तुम भी अपनी नफ़रत का हिसाब पूरा कर लो,

जो बचा है ज़हर, वो भी बेहिसाब भर लो।

हमने तो दर्द भी मुस्कुरा के सहा है हमेशा,

अब और सही, थोड़ा ज़ख़्म और दे डालो ।  [4/4/2025]

23

 बिछड़ने वाले से कोई शिकवा भी नहीं रखते,

तेरी खुशी में ही अब हम जीते हैं और मरते।

तू खास था मगर तेरा जाना भी तय था,

क्योंकि हर कोई दर्द में साथ दे, ये ज़रूरी नहीं था।

24

 तेरे बिना भी मुस्कराए हैं हम,

टूटे दिल को भी सजाए हैं हम।

जिस राह पे तुझ संग चले थे कभी,

अब उसी राह से खुद को बचाए हैं हम।

25

 अब ग़म है, कोई उम्मीद बची,

हर खुशी भी अब तो अधूरी हो गई।

हमने तो चाहा था साथ चलना उम्र भर,

पर किस्मत को शायद जुदाई जरूरी हो गई।

26

 चाहने वाले बहुत हैं इस दिल को यहाँ,

पर सुकून सिर्फ आपकी मुस्कान में मिला।

सबकी बातों में कुछ कुछ असर है जरूर,

मगर फर्क तो बस आपके लफ्ज़ों से पड़ा।

27

 हर बात जुबां से कही नहीं जाती,

हर रोशनी चिराग से नहीं आती।

कुछ रिश्ते खुदा बना देता है,

वरना दोस्ती हर किसी से निभाई नहीं जाती।

28

 मैंने अपनी तबाही को चुपचाप जिया है,

किसी और की किस्मत से कभी खेल नहीं किया।

जो जले थे मेरे साथ, अब खुद को चिराग समझते हैं

मैंने अपनी राख से किसी का उजाला नहीं किया....

29

पाया तो आपको बूंद सा भी नहीं

पर खोने का डर समंदर सा हैं

बहुत ज़्यादा मुश्किल होती है उस दरवाज़े पर दस्तक देना...

जिस की चाबियां कभी हमारे पास रही हो

30

 लगाव हो रहा आपसे , क्या किया जाए

रोके अपने आपको , जा होने दिया जाए 

31

चलो तुम भी अपनी नफ़रत का हिसाब पूरा कर लो,

जो बचा है ज़हर, वो भी बेहिसाब भर लो।

हमने तो दर्द भी मुस्कुरा के सहा है हमेशा,

अब और सही, थोड़ा ज़ख़्म और दे डालो ।

32

 आप समझे ही नहीं सच्चे जज़्बातों की कीमत,

हम हर बात में आपके लिए वफ़ादार हो गए।

चाहा आपको खुद से भी ज़्यादा मगर अफ़सोस,

आपकी नज़रों में हम ही गुनहगार हो गए। 

33

दोस्ती मुकम्मल हो हर किसी की ये ज़रूरी तो नहीं,

हर कहानी का अंजाम खुशी हो ये ज़रूरी तो नहीं।

कभी-कभी खामोशी भी कह जाती है सब बातें 

हर बात लफ़्ज़ों में हो ये ज़रूरी तो नहीं।  (17/4/25)

34

दिल की बात लबों पर लाकर नहीं कह पाते

हम आपको देख के भी कुछ कह नहीं पाते।

हसरतें दिल में रह जाती हैं अक्सर

क्योंकि हम जज़्बातों को अल्फ़ाज़ दे नहीं पाते। (17/4/25)

35

आपसे जुड़ाव कुछ इस तरह हो गया,

हर एहसास में बस आपका नाम हो गया।

दिल ने चाहा आपको बेइंतहां,

शायद यही सच्चा लगाव हो गया। ... (19/4/25)

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