Hindi Poems Part - 2

Hindi Poems (कवितायेँ ) Part 2 उपदेश वाचक सुंन्दर हिंदी कविताएँ, जैसे , आदमी , हकीकत, गमे इश्क का गुबार बाकि था , दोस्त अब थकने लगे हैं सबके पास काम बहुत है। नहीं जरूरी बूढ़ों की अब, हर बच्चा बुद्धिमन बहुत है। उजड़ गए सब बाग बागीचे, दो गमलों में शान बहुत है। मट्ठा धी नहीं खाते हैं, कहते हैं जुखाम बहुत है। पीते हैं जब चाये तब कहीं, कहते हैं आराम बहुत है। बंद हो गई चिट्ठी पत्री, व्हाट्सएप पर पैगाम बहुत हैं। झुके झुके हैं स्कूली बच्चे, बस्तों में सामान बहुत है। Hindi Kavita Aadmi ( आदमी) हक आदमी का छीनकर जीता है आदमी , आदमी का खून भी पीता है आदमी । रंगता है हाथ अपने बेकस के खून से , खुंखार दरिंदों से भी बदतर है आदमी । क्यों आदमी अपने को फिर कहता है आदमी। पी गया आदमी लज्जा को घोलकर , बेहयाई की हसि भी हस्ता है आदमी। जब तक गरज जिससे है , पहचानता उसको , फिर याद आदमी को रहता न आदमी। आदमी को आदमी ले डूबता है साथ , आदमी को आज तो जचता न आदमी। क्यों आदम...