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Hindi Poems Part - 2

Hindi Poems (कवितायेँ ) Part 2
उपदेश वाचक सुंन्दर हिंदी कविताएँ, जैसे  , आदमी ,  हकीकत, गमे इश्क का गुबार बाकि था , दोस्त अब थकने लगे हैं 


Hindi Kavita Aadmi (आदमी) 

हक आदमी का छीनकर जीता है आदमी ,
आदमी का खून भी पीता  है आदमी

रंगता है हाथ अपने बेकस के खून से ,
खुंखार दरिंदों से भी बदतर है आदमी
क्यों आदमी अपने को फिर कहता है आदमी।

पी गया आदमी लज्जा को घोलकर ,
बेहयाई की हसि भी हस्ता है आदमी।

जब तक गरज जिससे है , पहचानता उसको ,
फिर याद आदमी को रहता न आदमी।

आदमी को आदमी ले डूबता है साथ ,
आदमी को आज तो जचता न आदमी।
क्यों आदमी अपने को फिर कहता है आदमी।

स्वार्थ में अँधा बना वह बेजुबान भी ,
देखकर अँधेरे भी चुप रहता है आदमी।

पीकर शराबे शौकत संगदिल बना वो ,
बेगुनाहों पर सितम ढाता है आदमी।
क्यों आदमी अपने को फिर कहता है आदमी।

कितनो को फंसता है धोखे के जाल में ,
ईर्ष्या की आग में खुद जलता है आदमी।

वह क्या नहीं खरीदता दौलत के जोर से ,
बिकता है धर्म, ईमान  बिकता है आदमी।
क्यों आदमी अपने को फिर कहता है आदमी।

गुनाहों को पचा लेता है, ताकत के जोर से ,
पूछो नहीं क्या क्या हजम करता है आदमी।

मात दे वो मौत को ताकत के जोर से ,
आज क्यों ऐसा नहीं करता है आदमी।
क्यों आदमी अपने को फिर कहता है आदमी।


Hindi Poems (कवितायेँ ) Part 2
गुजर गया जमाना 

जिंदगी के लेखों जोखों में गुजर गया जमाना ,
खुशियों को हम तरसते रहे , पर गमों का भरपूर मिला खजाना। 

चंद ख्वाइशों का इस दिल में था आशियाना ,
ये ദിനേശ്  खुद से हो गया बेगाना। 

Hindi Poems (कवितायेँ ) Part 2
गमे इश्क का गुबार बाकि था 

रत को नींद के आगोश में जब सारा शहर बाकि था , 
हमारे लिए झिलमिल चांदनी का कहर बाकि था। 

हर गुनाह को माफ़ करके जिनके दिल से दिल मिला बैठे ,
शायद उनके दिल में हमारे लिए थोड़ा जहर बाकि था। 

चाहे लाखों गम लपेटे हुए था ये दिल, फिर भी ,
रिश्ता मुस्कराहटों से हमारे लवों का, शमो शहर बाकि था।

अँधेरी रात थी पैरों में छाले थे , आँखें सो जाने को बेताब थी ,
मगर मंजिल पाने के लिए अभी मीलों का सफर बाकि था। 

मिल गई चाहे सारी  खुशियां इस जमाने की पर ,
कहीं तो इस दिल में गम -ए  इश्क का गुबार बाकि था। 

Hindi Poems (कवितायेँ ) Part 2
हकीकत 
रहने दे आसमां , जमीं  की तलाश कर ,
सब कुछ यहीं है , कहीं और न तलाश कर। 

हर आरजू पूरी हो, तो जीने में क्या मजा ,
जीने के लिए बस एक वजह की तलाश कर। 

ना तुम दूर जाना , न हम दूर जायेंगे ,
अपने अपने हिसे की दोस्ती निभाएंगे। 

बहुत अच्छा लगेगा जिंदगी का ये सफर ,
आप वहां से याद करना , हम यहां से मुस्कराएंगे। 

Hindi Poems (कवितायेँ ) Part 2
दोस्तअब थकने लगे हैं

किसी का पेट निकल आया है , किसी के बाल पकने लगे हैं।

सब पर भारी  जिम्मेदारी है , सबको छोटी मोटी  कोई बीमारी है।

दिन भर जो भागते दौड़ते थे , वो अब चलते फिरते भी रुकने लगे  हैं।

पर ये हकीकत है , सब दोस्त अब थकने लगे हैं।

किसी को लोन की फ़िक्र है, कहीं हेल्थ टेस्ट का जिक्र है।

फुरसत की सबको कमी है , आँखों में  अजीब सी नमी है।

कल जो प्यार के खत लिखते थे , आज वो बीमे के फॉर्म भरने  लगे  हैं।

पर  ये हकीकत हैसब दोस्त अब  थकने लगे हैं।


बहुत कुछ पाना बाकि है 
गुजर रही है उम्र , पर अभी जीना बाकि है ,
जिन हालातों ने पटका है जमीं पर , उन्हें उठाकर जबाब देना अभी बाकि है। 

चल रहा हूँ मंजिल के सफर में , मंजिल को पाना अभी बाकि है। 
कर  लेने दो लोगों को चर्चे मेरी हार  के, कामयाबी का शोर मचाना अभी बाकि है। 

वक्त को करने दो अपनी मनमानी , मेरा वक्त अभी आना बाकि है ,
कर  रहे सवाल मुझे जो loser समझ कर , उन सबको अभी जबाब देना बाकि है। 

निभा रहा हूँ अपना किरदार जिंदगी के मंच पर, पर्दा गिरते ही तालियां बजना अभी बाकि है ,
कुछ नहीं गया हाथ से अभी तो , बहुत कुछ पाना बाकि है। 


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