Hindi Kavita Aadmi (आदमी)
हक आदमी का छीनकर जीता है आदमी ,
आदमी का खून भी पीता है आदमी।
रंगता है हाथ अपने बेकस के खून से ,
खुंखार दरिंदों से भी बदतर है आदमी।
क्यों आदमी अपने को फिर कहता है आदमी।
पी गया आदमी लज्जा को घोलकर ,
बेहयाई की हसि भी हस्ता है आदमी।
जब तक गरज जिससे है , पहचानता उसको ,
फिर याद आदमी को रहता न आदमी।
आदमी को आदमी ले डूबता है साथ ,
आदमी को आज तो जचता न आदमी।
क्यों आदमी अपने को फिर कहता है आदमी।
स्वार्थ में अँधा बना वह बेजुबान भी ,
देखकर अँधेरे भी चुप रहता है आदमी।
पीकर शराबे शौकत संगदिल बना वो ,
बेगुनाहों पर सितम ढाता है आदमी।
क्यों आदमी अपने को फिर कहता है आदमी।
कितनो को फंसता है धोखे के जाल में ,
ईर्ष्या की आग में खुद जलता है आदमी।
वह क्या नहीं खरीदता दौलत के जोर से ,
बिकता है धर्म, ईमान बिकता है आदमी।
क्यों आदमी अपने को फिर कहता है आदमी।
गुनाहों को पचा लेता है, ताकत के जोर से ,
पूछो नहीं क्या क्या हजम करता है आदमी।
मात दे वो मौत को ताकत के जोर से ,
आज क्यों ऐसा नहीं करता है आदमी।
क्यों आदमी अपने को फिर कहता है आदमी।
Hindi Poems (कवितायेँ ) Part 2
गुजर गया जमाना
जिंदगी के लेखों जोखों में गुजर गया जमाना ,
खुशियों को हम तरसते रहे , पर गमों का भरपूर मिला खजाना।
चंद ख्वाइशों का इस दिल में था आशियाना ,
ये ദിനേശ് खुद से हो गया बेगाना।
Hindi Poems (कवितायेँ ) Part 2
गमे इश्क का गुबार बाकि था
रत को नींद के आगोश में जब सारा शहर बाकि था ,
हमारे लिए झिलमिल चांदनी का कहर बाकि था।
हर गुनाह को माफ़ करके जिनके दिल से दिल मिला बैठे ,
शायद उनके दिल में हमारे लिए थोड़ा जहर बाकि था।
चाहे लाखों गम लपेटे हुए था ये दिल, फिर भी ,
रिश्ता मुस्कराहटों से हमारे लवों का, शमो शहर बाकि था।
अँधेरी रात थी पैरों में छाले थे , आँखें सो जाने को बेताब थी ,
मगर मंजिल पाने के लिए अभी मीलों का सफर बाकि था।
मिल गई चाहे सारी खुशियां इस जमाने की पर ,
कहीं तो इस दिल में गम -ए इश्क का गुबार बाकि था।
Hindi Poems (कवितायेँ ) Part 2
हकीकत
रहने दे आसमां , जमीं की तलाश कर ,
सब कुछ यहीं है , कहीं और न तलाश कर।
हर आरजू पूरी हो, तो जीने में क्या मजा ,
जीने के लिए बस एक वजह की तलाश कर।
ना तुम दूर जाना , न हम दूर जायेंगे ,
अपने अपने हिसे की दोस्ती निभाएंगे।
बहुत अच्छा लगेगा जिंदगी का ये सफर ,
आप वहां से याद करना , हम यहां से मुस्कराएंगे।
Hindi Poems (कवितायेँ ) Part 2
दोस्तअब थकने लगे हैं
किसी का पेट निकल आया है , किसी के बाल पकने लगे हैं।
सब पर भारी जिम्मेदारी है , सबको छोटी मोटी कोई बीमारी है।
दिन भर जो भागते दौड़ते थे , वो अब चलते फिरते भी रुकने लगे हैं।
पर ये हकीकत है , सब दोस्त अब थकने लगे हैं।
किसी को लोन की फ़िक्र है, कहीं हेल्थ टेस्ट का जिक्र है।
फुरसत की सबको कमी है , आँखों में अजीब सी नमी है।
कल जो प्यार के खत लिखते थे , आज वो बीमे के फॉर्म भरने लगे हैं।
पर ये हकीकत है , सब दोस्त अब थकने लगे हैं।
बहुत कुछ पाना बाकि है
गुजर रही है उम्र , पर अभी जीना बाकि है ,
जिन हालातों ने पटका है जमीं पर , उन्हें उठाकर जबाब देना अभी बाकि है।
चल रहा हूँ मंजिल के सफर में , मंजिल को पाना अभी बाकि है।
कर लेने दो लोगों को चर्चे मेरी हार के, कामयाबी का शोर मचाना अभी बाकि है।
वक्त को करने दो अपनी मनमानी , मेरा वक्त अभी आना बाकि है ,
कर रहे सवाल मुझे जो loser समझ कर , उन सबको अभी जबाब देना बाकि है।
निभा रहा हूँ अपना किरदार जिंदगी के मंच पर, पर्दा गिरते ही तालियां बजना अभी बाकि है ,
कुछ नहीं गया हाथ से अभी तो , बहुत कुछ पाना बाकि है।
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