Hindi Shayari Part 3
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1 |
तलवारों की धार पर इतिहास हमारा चलता है , जिस ओर जवानी चलता
है, उस ओर जमाना
चलती है। |
2 |
सूरज हूँ जिंदगी की रमक छोड़ जाऊंगा , डूब भी गया तो
क्या , जीने का सबक छोड़
जाऊंगा। |
3 |
ऐ खुदा हम तेरी महफ़िल में बस यही फरियाद करते हैं , हमेशा खुश रखना उन्हें जिन्हें हम याद करते
हैं। |
4 |
हायनात को साथ ले के चलो , कायनात को साथ ले के चलो , चलो तो सरे जमाने
को साथ ले के चलो। |
5 |
यह पत्र नहीं मेरे दिल के अरमानों का पन्ना है , हमेशा खुशियां मिले तुम्हें , यही मेरी तमन्ना है। |
6 |
कौन किसी का होता है, अपना अपना नसीब होता है , धोखा वही देते हैं , जिनपे यकीन होता है। दिल दर्द को ढूंढ़ता है
और दर्द दिल के करीब होता
है। |
7 |
उम्मीदें दिल की टूट गई और दिल उदास है , खुशियां लूट गई , बस गम ही
पास है। |
8 |
नदी किनारे पंछी बैठा , एक चरण दो ध्यान , मैने सोचा कोई भगत है ,पर निकली कपट
की खान। |
9 |
हमने तो पत्थरों को अदा की थी जुबानी , जो जुबां मिली तो हम पर
ही बरस पड़े। |
10 |
मत निकल काँटों को फूलों से ऐ बागवां , फूलों के संग कभी
ये भी पले थे
बहारों में। |
11 |
दुनियां इक सरां है कोई आ जांदा ते कोई चला जांदा , कोई फुलां नाल भी खुश नहीं
, ते कोई कंडेयान नाल भी निभा जांदा। |
12 |
मेहरबां होकर मुझे बुला लो इस वक़्त , मैं कोई गुजरा वक़्त नहीं, जो दोबारा न
आ सकूं। |
13 |
बुतो शाबाश हो तुमको तरक्की इसे कहते हैं , न तरासे तो पत्थर थे
, जो तरासे तो खुदा निकले। |
14 |
भूली हुए यादो मुझे इतना न सताओ, चैन से रहने दो
मेरे पास न आओ। |
15 |
कश्तियाँ डूब जाती हैं , तूफान चले जाते हैं , यादें रह जाती है
, इन्सान चले जाते हैं। |
16 |
कोई यहां न आये अब रिश्तों का जाल लेकर , किसको जबाब दूँ मैं किसका सवाल लेकर। |
17 |
शहीदों की चिताओं पर हर बरस लगेंगे मेले , वतन पर मिटने वालों
का यही , अंतिम निशान होगा। |
18 |
जिंदगी तुझे नए मोड़ पे ला ही देंगे , तू हमें कुछ भी न दे
, हम तो बफा ही
देंगे। |
19 |
फूलों की सेज थी कांटे हजार थे , दोस्तों के भेस में
, दुश्मन हजार थे। |
20 |
तमाम शहर में अब है राज काँटों का , मुझे कबूल नहीं ये सरताज काँटों
का। |
21 |
सब्र करो जल्दी को छोडो , फल चाहो तो फूल न
तोड़ो। |
22 |
बदल जाये अगर माली , चमन होता नहीं खली , बहारें तो फिर भी
आती हैं , बहारें तो फिर भी
आएगी । |
23 |
क्यों देखें इस जहां को हम किसी की नजर से , माना के इस जमीं को गुलजार न कर सके , कुछ खार कम तो कर
सके गुजरे दिलों से हम। |
24 |
इस मतलबी दुनियां में मतलब चरों ओर गूंज रहा है , हर कोई मतलब निकलता है, और फिर मतलबी
बन जाता है। |
25 |
अज दी वक़्त बिच तू यकीन रखीं।, मैं लब के ल्यावांगा
कलमां , तू फुलां जोगी
जमीन रखीं। |
26 |
चलो उठो बढ़कर गिरा दो बीच की दीवार को , देखना आँगन तुम्हारा दोगुना हो जायेगा। |
27 |
ये तेज आंधियां पेड़ों को गिरा जाएँगी , बस वही साख बचेगी जो लचक जाएँगी। |
28 |
ऐ जमाने वालो , कुछ पानी के बह जाने से सावन मरा नहीं करता , होके निराश आँगन से मत उखाड़ना पौधे , धूप बरसी है तो बारिश
भी जरूर होगी। |
29 |
तकाजा है वक़्त का , तूफान से लड़ो, कब
तक चलोगे किनारे किनारे। |
30 |
दीवारें क्या गिरी मेरे खस्ता मकान की, लोगों ने मेरे आँगन
से रास्ते बना लिए। |
31 |
वफ़ा का वास्ता देकर मुहब्बत आज रोती है, इस दिल से न खेला
करो, ये नाजुक चीज
होती है। |
32 |
ये दुनियां वाले तेरे बनके तेरा दिल तोड़ेंगे , देते हैं भगवान को धोखा , ये
क्या इन्सान को छोड़ेंगे। |
33 |
लम्हा लम्हा तरस्ते रहे इक लम्हे के लिए, वो लम्हा भी आया तो
बस इक लम्हे के
लिए। |
34 |
ना था कुछ तो खुदा था, न कुछ होता तो खुदा होता। डुबोया मुझको मेरे होने ने, ना मैं होता
तो क्या होता। |
35 |
बक रहा हूँ जनून में, मैं क्या कुछ, खुदा करे के कोई कुछ
न समझें। |
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