Hindi Shayari Part 3
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अपनी मंजिलें होंगी , अपने कारवां होंगे ,
कल दुनियां हमें याद करेगी , पर न जाने हम कहां होंगे।
मिटा सके हमें जमाने में इतना दम नहीं ,
हमसे खुद है जमाना , जमाने से हम नहीं।
गमे जिंदगी को देखकर हमे रोना आ गया ,
पर ये रोने वाले तुझे किस बात पे रोना आ गया।
हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था ,
मेरी कश्ती ही वहां डूबी जहां पानी भी कम था।
तलवारों की धार पर इतिहास हमारा चलता है ,
जिस ओर जवानी चलता है, उस ओर जमाना चलती है।
सूर्य हूँ जिंदगी की रमक छोड़ जाऊंगा ,
डूब भी गया तो क्या , जीने का सबक छोड़ जाऊंगा।
हायनात को साथ ले के चलो , कायनात को साथ ले के चलो ,
चलो तो सरे जमाने को साथ ले के चलो।
ऐ खुदा हम तेरी महफ़िल में बस यही फरियाद करते हैं ,
हमेशा खुश रखना उन्हें जिन्हें हम याद करते हैं।
यह पत्र नहीं मेरे दिल के अरमानों का पन्ना है ,
हमेशा खुशियां मिले तुम्हें , यही मेरी तमन्ना है।
नदी किनारे पंछी बैठा , एक चरण दो ध्यान ,
मैने सोचा कोई भगत है ,पर निकली कपट की खान।
कौन किसी का होता है, अपना अपना नसीब होता है ,
धोखा वही देते हैं , जिनपे यकीन होता है।
दिल दर्द को ढूंढ़ता है और दर्द दिल के करीब होता है।
उम्मीदें दिल की टूट गई और दिल उदास है ,
खुशियां लूट गई , बस गम ही पास है।
मत निकल काँटों को फूलों से ऐ बागवां ,
फूलों के संग कभी ये भी पले थे बहारों में।
हमने तो पत्थरों को अदा की थी जुबानी ,
जो जुबां मिली तो हम पर ही बरस पड़े।
बुतो शाबाश हो तुमको तरक्की इसे कहते हैं ,
न तरासे तो पत्थर थे , जो तरासे तो खुदा निकले।
दुनियां इक सरां है कोई आ जांदा ते कोई चला जांदा ,
कोई फुलां नाल भी खुश नहीं , ते कोई कंडेयन नाल भी निभा जांदा।
मेहरबां होकर मुझे बुला लो इस वक़्त ,
मैं कोई गुजरा वक़्त नहीं, जो दोबारा न आ सकूं।
भूली हुए यादो मुझे इतना न सताओ,
चैन से रहने दो मेरे पास न आओ।
कश्तियाँ डूब जाती हैं , तूफान चले जाते हैं ,
यादें रह जाती है , इन्सान चले जाते हैं।
जिंदगी तुझे नए मोड़ पे ला ही देंगे ,
तू हमें कुछ भी न दे , हम तो बफा ही देंगे।
कोई यहां न आये अब रिश्तों का जाल लेकर ,
किसको जबाब दूँ मैं किसका सवाल लेकर।
शहीदों की चिताओं पर हर बरस लगेंगे मेले ,
वतन पर मिटने वालों का यही , अंतिम निशान होगा।
फूलों की सेज थी कांटे हजार थे ,
दोस्तों के भेस में , दुश्मन हजार थे।
तमाम शहर में अब है राज काँटों का ,
मुझे कबूल नहीं ये सरताज काँटों का।
सब्र करो जल्दी को छोडो ,
फल चाहो तो फूल न तोड़ो।
गम से बढ़कर दूसरा कोई साथी होता नहीं ,
सब जुड़ा होते हैं , लेकिन ये गम जुड़ा होता नहीं।
जिन्दगी के बोझ को हसकर उठाना चाहिए ,
रह की दुशवाइयों पर मुस्कराना चाहिए।
कश्तियाँ डूब जाती हैं , तूफान चले जाते हैं,
यादें रह जाती हैं , और इन्सान चले जाते हैं।
थककर रुक जाना जिन्हें मंजूर नहीं,
उनके लिए कोई भी मंजिल दूर नहीं।
ये आँशु भी कितने बेवफा हैं, जो आँखों से निकल आते हैं ,
ये गम भी कितने बफादार हैं , जो हर दम साथ निभाते हैं।
मुझे अब आदत सी हो गई है गम सहने की ,
मैं तब भी मुस्कराता हूँ जब बात हो रोने की।
दोस्ताना मेहरबान, दोस्ती मैं शक नहीं ,
दिन बीते खत न आया , क्या तुम्हारा हक़ नहीं।
इस मतलबी दुनियां में मतलब चरों ओर गूंज रहा है ,
हर कोई मतलब निकलता है, और फिर मतलबी बन जाता है।
अंजान बन के चले थे , अंजान बन कर रह गए ,
दोस्त बन कर चले थे , अब याद बन कर रह गए।
बदल जाये अगर माली , चमन होता नहीं खली ,
बहारें तो फिर भी आती हैं , बहारें तो फिर भी आएगी ।
क्यों देखें इस जहां को हम किसी की नजर से ,
माना के इस जमीं को गुलजार न कर सके ,
कुछ खार कम तो कर सके गुजरे दिलों से हम।
अज दी वक़्त बिच तू यकीन रखीं।,
मैं लब के ल्यावांगा कलमां , तू फुलां जोगी जमीन रखीं।
ये तेज आंधियां पेड़ों को गिरा जाएँगी ,
बस वही साख बचेगी जो लचक जाएँगी।
चलो उठो बढ़कर गिरा दो बीच की दीवार को ,
देखना आँगन तुम्हारा दोगुना हो जायेगा।
ऐ जमाने वालो , कुछ पानी के बह जाने से सावन मरा नहीं करता ,
होके निराश आँगन से मत उखाड़ना पौधे , धूप बरसी है तो बारिश भी जरूर होगी।
तकाजा है वक़्त का , तूफान से लड़ो, कब तक चलोगे किनारे किनारे।
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