Hindi Poem Part 4
जिंदगी का सफर(
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लोग जल जाते हैं मेरी मुस्कान पर क्योंकि , मैंने कभी दर्द की नुमाइश नहीं की। जिंदगी में जो मिला कबूल किया , किसी चीज की फरमाइश नहीं की , मुश्किल है समझ पाना मुझे क्योंकि , जीने के अलग हैं अंदाज मेरे , जब जहां जो मिला अपना लिया , जो न मिला उसकी ख्वाहिश नहीं की। माना कि औरों के मुकाबले कुछ ज्यादा पाया नहीं मेने , पर खुश हूँ कि खुद को गिरा कर कुछ उठाया नहीं मैंने। |
माँ के दिल का दर्द निचे लिखी गई पंक्तियाँ माँ के दिल में छुपे दर्द को बयान करती है ये पंक्तियाँ बताती हैं के एक माँ के दिल में अपने बच्चों के प्रति कितना दर्द , प्यार, सनेह और अपनापन छिपा रहता है। माँ की इक दुआ जिंदगी बना देगी , खुद रोयेगी मगर तुझको हसा देगी , कभी भूलकर भी माँ को मत रुलाना , इक आँशु की बून्द पूरी धरती हिला देगी। *********************************************************** मेरी आँखों का तारा ही मुझे आँखें दिखता है , जिसे हर इक ख़ुशी दे दी वो हर गम से मिलता है। जुबान से कुछ कहूँ , कैसे कहूँ , किस्से कहूँ माँ हूँ , सिखाया बोलना जिसको वो चुप रहना सिखाता है।
सुनाई लोरियां जिसको वो अब ताने सुनाता है , सिखाने में उसे क्या कुछ कमी मेरी रही सोचूं , जिसे गिनती सिखाई , वो अब गलतियां मेरी गिनाता है। तू गहरी छाँव है गर जिंदगी, धूप है अम्मा , धरा पर कब कहाँ तुझसा कोई स्वरूप है अम्मा। अगर ईश्वर कहीं पर हे उसे देखा कहाँ किसने , धरा पर तो तू ही ईश्वर का कोई रूप है अम्मा। न ये ऊंचाई सच्ची है न ये आधार सच्चा है , न कोई चीज है सच्ची न ये संसार सच्चा है। मगर धरती से अंबर तक युगों से लोग कहते हैं , अगर सच्चा है कुछ जग में तो माँ का प्यार सच्चा है। जरा सी देर होने पर सभी से पूछती अम्मा , पलक छपके बिना घर का दरवाजा ताकती अम्मा। हर इक आहट पे उसका चौंक पड़ना और फिर दुआ देना , मेरे घर लोट आने तक बराबर जागती अम्मा।
सरहाने देर तक मेरे बैठी रही अम्मा। मेरे सपनों में परियां, फूल, तितली भी तभी तक थी, मुझे आँचल में अपने लेके जब लेटी रही अम्मा। बड़ी छोटी रकम से घर चलना जानती थी माँ , कमी थी पर बड़ी खुशियां जुटाना जानती थी माँ। मैं खुशहाली में भी रिश्तों में बस दूरी बना पाया, गरीबी में भी हर रिश्ता निभाना जानती थी माँ। लगा बचपन में यूँ अक्सर अँधेरा ही मुक्दर है , मगर माँ होंसला देकर यूँ बोली के तुमको क्या डर है। कोई आगे निकलने के लिए राश्ता नहीं देगा , मेरे बच्चो बढ़ो आगे तुम्हारे साथ ईश्वर है। माँ - बेटाजब टूटती थी प्लेट बचपन में तुझसे , अब माँ से टूट जाये, तो कुछ मत कहना। जब मांगता था गुब्बारा , बचपन में माँ से, अब माँ चश्मा मांगे तो मना मत करना। जब मांगता था चॉकलेट बचपन में माँ से , अब माँ दवाई मांगे तो मना मत करना। जब डाँटती थी माँ शरारत होती थी तुझसे , अब वो सुन न सके तो बुरा उसे मत कहना। जब चल नहीं पाता था , माँ पकड़के चलाती थी ,अब चल न पाए वो उसे सहारा तुम देना। जब तू रोता था माँ सीने से लगती थी , अब सह लेना दुःख तुम माँ को रोने मत देना। जब पैदा हुए थे तुम तब माँ तुम्हारे पास थी , जब अंतिम वक़्त हो तब तुम उसके पास रहना। गिनती नहीं आती मेरी माँ कोगिनती नहीं आती मेरी माँ को यारो , मैं एक रोटी मांगू वो दो ही लती। जन्नत के हर लम्हे का दीदार किया था , जब माँ ने गोद में उठाके प्यार किया था। सब कह रहे हैं के आज माँ का दिन है , पर ऐसा कोनसा
दिन है जो माँ के बिन है। माँ को देखकर मुस्करा लिया करो , क्या पता किश्मत में हज लिखा न हो , मौत के लिए तो कई सारे राश्ते
हैं , मगर जन्म लेने के लिए केवल एक। अब माँ के लिए क्या लिखू ,
माँ ने खुद मुझे लिखा है।
दवा असर न करे तो नजर उतरती है , माँ है जनाब माँ वो कहाँ हर मानती है। |
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