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Hindi Shayari Part 18

     हिंदी शायरी पार्ट -18 Beautiful Hindi shayari, Emotional hindi shayari, Sad hindi shayari, hindi shayari based on dosti, hindi shayari collection, Best hindi shayari, हिंदी शायरी पार्ट-18 1 आप बात अपनी मर्जी से करते हो,  और हम भी इतने पागल हैं,  कि आपकी मर्जी का इंतजार करते हैं।  2  तुम तो फिर भी गैर हो,  तुमसे  तो  शिकायत कैसी,  मेरे अपने भी मुझे गैरों की तरह देखते हैं।  3   अकेले तो हम शुरू से ही थे ,  बस  थोड़ा सा वहम हो गया था कि मुझे भी कोई चाहता है।  4  दोस्ती की है, तुमसे बेफिक्र रहो,  नाराजगी हो सकती है पर कभी नफरत नहीं  ।  5 मसला ये नहीं कि तुम मिल नहीं पाओगे, दर्द तो ये है कि हम तुम्हें  भूला नहीं पाएंगे ।  6  कभी न कभी तो एहसास होगा तुम्हें,  के कोई था जो तुम्हें बिना मतलब से चाहता था।  7 मसरूफ हो ...

Hindi Poem Part 4

Hindi Poem Part 4

जिंदगी का सफर(कविता)
  • आगे सफर था, तो पीछे हमसफ़र था।
  • रुकते तो सफर छूट जाता, और चलते तो हमसफ़र छूट जाता।
  • मंजिल की भी हसरत थी, और उनसे भी मुहब्बत थी।
  • चलते तो बिछुड़ जाते, और रुकते तो बिखर जाते।
  • यूँ समझ लो के, प्यास लगी थी गजब की मगर पानी में जहर था।
  • पीते तो मर जाते, और न पीते तो भी मर जाते।
  • बस दो मसले जिंदगी भर न हल हुए। न नींद पूरी हुई और न खाब मुकमल हुए।
  • वक़्त ने कहा के काश थोड़ा और सब्र होता। और सब्र ने कहा के काश थोड़ा और वक़्त होता।
  • सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब, आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।
  • हुनर सड़कों पर तमाशा करता है, और किश्मत महलों में राज करती है।
  • शिकायत तो बहुत है तुझसे ऐ जिंदगी, पर चुप इसलिए हूँ कि, जो दिया तूने वो भी बहुतों को नसीब नहीं होता।
  • अजीब सौदागर है ये वक़्त भी, जवानी का लालच देकर बचपन ले गया और अब अमीरी का लालच देकर जवानी ले गया।
  • लौट आता हूँ रोज़ घर की तरफ थका हरा।
  • पर आज तक समझ नहीं आया के जीने के लिए कमाता हूँ या कमाने के लिए जीता हूँ।
  • बचपन में सबसे ज्यादा बार पूछा गया सवाल, कि बड़े होकर क्या बनना है।
  • जबाब अब मिला है, कि फिरसे बच्चा बनना है।
  • थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिंदगी, मुनासिब होगा के मेरा हिसाब कर दे।
  • दोस्तों से बिछुड़ के ये समझ आया कि बेसक वो कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी।
  • भरी जेब ने दुनियाँ की पहचान करवाई, और खली जेब ने अपनों की।
  • जब लगे पैसा कमाना तो समझ में आया के शौक तो मां बाप के पैसों से पूरे होते थे, अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पूरी होती है।
  • हंसने की इच्छा न भी हो तो भी हंसना पड़ता है कोई जब पूछे कि कैसे हो ? मजे में हूँ कहना पड़ता है।
  • ये जिंदगी का रंग मंच है दोस्तों, यहां हर एक को नाटक करना पड़ता है।
  • माचिस की जरूरत यहां नहीं पड़ती, यहां आदमी आदमी से जलता है।
  • मंदिर में फूल चढ़ाकर आये तो ये एहसास हुआ कि पत्थरों को मनाने के लिए फूलों का कत्ल कर आये हम।
  • गए थे गुनाहों की माफ़ी मांगने और वहां एक गुनाह और कर आये हम।

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 लोग जल जाते हैं मेरी मुस्कान पर क्योंकि ,

मैंने कभी दर्द की नुमाइश नहीं की।

जिंदगी में जो मिला कबूल किया ,
किसी चीज की फरमाइश नहीं की ,

मुश्किल है समझ पाना मुझे क्योंकि ,
जीने के अलग हैं अंदाज मेरे ,

जब जहां जो मिला अपना लिया ,
जो न मिला उसकी ख्वाहिश नहीं की।

माना कि औरों के मुकाबले कुछ ज्यादा पाया नहीं मेने ,
पर खुश हूँ कि खुद को गिरा कर कुछ उठाया नहीं मैंने।


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माँ के  दिल का दर्द 

निचे लिखी गई पंक्तियाँ माँ के दिल में छुपे दर्द को बयान करती है  ये पंक्तियाँ बताती हैं के एक माँ के दिल में अपने बच्चों के प्रति कितना दर्द , प्यार, सनेह और अपनापन छिपा रहता है।

माँ की इक दुआ जिंदगी बना देगी ,

खुद रोयेगी मगर तुझको हसा देगी ,

कभी भूलकर भी माँ को मत रुलाना ,

इक आँशु की बून्द पूरी धरती हिला देगी।

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मेरी आँखों का तारा ही मुझे आँखें दिखता है ,

जिसे हर इक ख़ुशी दे दी वो हर गम से मिलता है।

जुबान से कुछ कहूँ , कैसे कहूँ , किस्से कहूँ माँ हूँ ,

सिखाया बोलना जिसको वो चुप रहना सिखाता है।


सुलाकर सोती थी जिसकोवो अब रात भर जगाता है,

सुनाई लोरियां जिसको वो अब ताने सुनाता है ,

सिखाने में उसे क्या कुछ कमी मेरी रही सोचूं ,

जिसे गिनती सिखाई , वो अब गलतियां मेरी गिनाता है।

 

तू गहरी छाँव है गर जिंदगीधूप है अम्मा ,

धरा पर कब कहाँ तुझसा कोई स्वरूप है अम्मा।

अगर ईश्वर कहीं पर हे उसे देखा कहाँ किसने ,

धरा पर तो तू ही ईश्वर का कोई रूप है अम्मा।

 

 ये ऊंचाई सच्ची है  ये आधार सच्चा है ,

 कोई चीज है सच्ची  ये संसार सच्चा है।

मगर धरती से अंबर तक युगों से लोग कहते हैं ,

अगर सच्चा है कुछ जग में तो माँ का प्यार सच्चा है।

 

जरा सी देर होने पर सभी से पूछती अम्मा ,

पलक छपके बिना घर का दरवाजा ताकती अम्मा।

हर इक आहट पे उसका चौंक पड़ना और फिर दुआ देना ,

मेरे घर लोट आने तक बराबर जागती अम्मा।



सुलाने के लिए मुझको तो खुद जागी रही अम्मा ,

सरहाने देर तक मेरे बैठी रही अम्मा।

मेरे सपनों में परियांफूलतितली भी तभी तक थी,

मुझे आँचल में अपने लेके जब लेटी रही अम्मा।

 

बड़ी छोटी रकम से घर चलना जानती थी माँ ,

कमी थी पर बड़ी खुशियां जुटाना जानती थी माँ।

मैं खुशहाली में भी रिश्तों में बस दूरी बना पाया,

गरीबी में भी हर रिश्ता निभाना जानती थी माँ।

 

लगा बचपन में यूँ अक्सर अँधेरा ही मुक्दर है ,

मगर माँ होंसला देकर यूँ बोली के तुमको क्या डर है।

कोई आगे निकलने के लिए राश्ता नहीं देगा ,

मेरे बच्चो बढ़ो आगे तुम्हारे साथ ईश्वर है।

माँ - बेटा

जब टूटती थी प्लेट बचपन में तुझसे , अब माँ से टूट जाये, तो कुछ मत कहना।

जब मांगता था गुब्बारा , बचपन में माँ से, अब माँ चश्मा मांगे तो मना मत करना।

जब मांगता था चॉकलेट बचपन में माँ से , अब माँ दवाई मांगे तो मना मत करना।

जब डाँटती  थी माँ शरारत होती थी तुझसे , अब वो सुन सके तो बुरा उसे मत कहना।

जब चल नहीं पाता  था , माँ पकड़के चलाती  थी ,अब चल पाए वो उसे सहारा तुम देना।

जब तू रोता  था माँ सीने  से लगती थी , अब सह लेना दुःख तुम माँ को रोने मत देना।

जब पैदा हुए थे तुम तब माँ तुम्हारे पास थी , जब अंतिम वक़्त हो तब तुम उसके पास रहना।


गिनती नहीं आती मेरी माँ को

गिनती नहीं आती मेरी माँ को यारो , मैं एक रोटी मांगू वो दो ही लती।

जन्नत के हर लम्हे  का दीदार किया था , जब माँ ने गोद में उठाके  प्यार किया था।

सब कह रहे हैं के आज माँ का दिन है , पर ऐसा कोनसा  दिन है जो माँ के बिन है।

माँ को देखकर मुस्करा लिया करो , क्या पता किश्मत में हज लिखा हो ,

मौत के लिए तो कई सारे राश्ते  हैं , मगर जन्म लेने के लिए केवल एक।

अब माँ के लिए क्या लिखूमाँ ने खुद मुझे लिखा है।

दवा असर करे तो नजर उतरती है , माँ है जनाब माँ वो कहाँ हर मानती है।



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