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Bachon Ke Liye Jaruri Baten


BACHON KE LIYE JARURI

बच्चों के लिए जरूरी 

किताबें (कविता)

जग का जगत को ज्ञान कराती है किताबें।  हैवान को इन्सान बनाती है किताबें।

धरती से स्वर्ग तक जाती हैं किताबें। हर जन्म में  साथ निभाती है किताबें।

सारे जहां की सैर कराती है किताबें।  दुःख , दर्द, और गम दूर कराती है किताबें।

इस लोक को धनवान बनाती है किताबें।उस लोक को आसान बनाती है किताबें।

भगवन का पैगाम सुनाती है किताबें।जिंदगी का पथ दिखाती है किताबें।

हर पथिक को मंजिल तक पहुंचाती है किताबें। अच्छे बच्चों को इन्ही कारणों से भाती है किताबें।
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जिद्दी बच्चे  ही बनते हैं स्वार्थी

स्वार्थी बच्चों के लक्षण

दूसरों की भावनाओं की कदर नहीं करते  और अपनी हर बात मनवाते  हैं।  

अपनी बात मनवाने  के लिए किसी  भी हद तक चले जाते  हैं।

उन्हें लगता है कि वे जो बात  करते हैं, वह ठीक है और जो दूसरे करते हैं वह  गलत है।

अपने तरिके से  जिंदगी जीते हैं और  अशिष्टता  से पेश आते  हैं।

झूठ बोलना, चोरी करना  इनकी आदत में  शुमार हो जाता है।

बच्चे को उस वक़्त प्यार की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, जब हम सोचते हैं कि इसे डांट मिलनी चाहिए।

बच्चों के जीवन में कुछ वयस्क जरूर होने चाहिए, जिन पर वो पूरी तरह भरोसा कर सकें।


कुछ मम्मी पापा के लिए 

अगर बच्चे की आलोचना की जाये तो वह निंदा करना सीखेगा।

अगर उससे दुश्मनी का व्यवहार किया जाये तो वह लड़ना सीखेगा। 

अगर उसका मजाक बनाया जाये तो वह शर्मिला बन जायेगा। 

अगर बच्चे के साथ धैर्य से काम लिया जाये तो , उसमें सहनशीलता आएगी। 

अगर उसे शर्मिंदा किया जाये तो वह अपने को गलत समझेगा। 

अगर उसे प्रोत्साहित किया जाये तो उसमें आत्मविश्वाश आएगा। 

अगर उसकी तारीफ़ की जाये , तो वह अपने आस पास के लोगों को पसंद करना सीखेगा। 

अगर बच्चों के साथ बेईमानी न की जाये तो वह न्याय करना सीखेगा। 

अगर बच्चे का अपमान किया जाये तो वह अपनी इज्जत करना सीखेगा। 

अगर बच्चे को दोस्ती और अपनापन मिले, तो वह दुनिया में  प्यार ढूंडना सीखेगा। 


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BACHON KE LIYE JARURI

होंसले को खुद से कभी तुम जुदा   करना, हार कर  भी तुम कोशिशें कम करना।

इक दिन तुम्हारा होगा  ये इतवार करनाऔर उस दिन का तुम सबब से इंतजार करना।

गुल से सीखो होंसला गम में  मुस्कराने का ,

पैदा हुआ वो काँटों में , पर फिर भी मुस्कराता है। 

मुश्किलें इन्सान को बढ़ना सिखाती है , स्वपन के पर्दे निगाहों से उठाती  हैं। 
हौंसला मत हार गिरकर ओ  मुसाफिर , ठोकरें ही इन्सान को चलना सिखाती है। 

BACHON KE LIYE JARURI

पक्के हुए फल की तीन पहचान होती है
एक- वह  नरम  होता है।
दूसरा- वह मीठा हो जाता है,
तीसरा- उसका रंग बदल जाता  है।
इसी प्रकार अच्छे परिपक़्व व्यक्ति की भी तीन पहचान होती  है।
पहली- उसमे  नम्रता होती  है,
दूसरी- उसकी वाणी में मिठास  होती  है,
तीसरी - उसके चेहरे पर आत्मविश्वाश का रंग होता  है।

बच्चों को दीजिये संस्कार 

टी बी देने से पहले टाइम दीजिये। 

सम्पति देने से पहले सन्मति दीजिये।

स्वतंत्रता देने से पहले संस्कार दीजिये। 

शिक्षा देने से पहले संस्कृति दीजिये। 

व्यापर देने से पहले व्यवहार दीजिये। 

कार देने से पहले नवकार दीजिये। 

कॉलेज देने से पहले कर्म का नॉलेज दीजिये। 

दोस्त देने से पहले दादा दादी का दुलार दीजिये। 

परिवर्तन देने  पहले माता पिता का प्यार दीजिये। 

जमाने की हवा लगने से पहले अपना अनुभव दीजिये। 

बच्चे  को उपहार न दिया जाये तो बह कुछ समय के लिए  ही रोयेगा ,

मगर, यदि उसे  संस्कार न दिए जाएँ तो वह पूरी उम्र रोयेगा। 
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जब परिवार के सदस्य अप्रिय लगने लगे,  और पराये अपने लगने लगे ,
तो समझ लीजिये के विनाश का समय आरम्भ हो गया है। 
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