हिंदी कविता - शादी के बाद शादी के बाद अभी शादी का पहला ही साल था , ख़ुशी के मारे मेरा बुरा हाल था , खुशियां कुछ यूँ उमड़ रही थी , कि संभाले नहीं संभाल रही थी सुबह - सुबह मैडम का चाय लेकर आना , थोड़ा शर्माते हुए हमे नींद से जगाना , वो प्यार भरा हाथ हमारे बालों में फिराना , और मुस्कराते हुए कहना , डार्लिंग चाय तो पी लो जल्दी से रेडी हो जाओ , आपको ऑफिस भी जाना है। घरवाली भगवन का रूप लेकर आई थी , दिल और दिमाग पे पूरी तरह से छाई थी , साँस भी लेते थे तो नाम उसी का होता था , इक पल भी दूर जाना मुश्किल होता था। 5 साल बाद सुबह - सुबह मैडम का चाय लेकर आना , टेबल पर रखके जोर से चिलाना , आज ऑफिस जाओ तो मुन्ना को स्कूल छोड़ते हुए जाना। सुनो , एक बार फिर वही आवाज आई , क्या बात है अभी छोड़ी नहीं चारपाई , यदि मुन्ना लेट हो गया तो देख लेना , टीचर्स को फिर खुद ही संभाल लेना। ना जाने अब घरवाली केसा रूप